A Review Of hindi poetry
जीवन के संताप शोक सब इसको पीकर मिट जाते जिनमें वह छलकाती लाई अधर-सुधा-रस की हाला, स्वतंत्रता की इस अमर धारा को, सब मिलकर सजाएँ। वह बज उठ
जीवन के संताप शोक सब इसको पीकर मिट जाते जिनमें वह छलकाती लाई अधर-सुधा-रस की हाला, स्वतंत्रता की इस अमर धारा को, सब मिलकर सजाएँ। वह बज उठ